पंडित विजय कृष्ण शास्त्री जी एक समर्पित भगवत भक्त, प्रख्यात श्रीमद् भागवत कथा व्यास और वैदिक ज्योतिषाचार्य हैं। उनका जीवन श्रीराम और श्रीकृष्ण की भक्ति को समर्पित है। वे न केवल एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं, बल्कि उन्होंने रामकथा के माध्यम से जन-जन के हृदय में धर्म, भक्ति और आत्मिक शांति का संचार किया है। उनकी वाणी में भाव, भक्ति और ज्ञान का सुंदर समन्वय होता है। रामचरितमानस, श्रीमद्भागवत और श्रीमद्भगवद्गीता जैसे ग्रंथों पर उनकी पकड़ अत्यंत गहरी है, और वे इन ग्रंथों की व्याख्या को आज के युग से जोड़कर प्रस्तुत करते हैं। उनका हर प्रवचन आत्मा को छू लेने वाला अनुभव बन जाता है — जहाँ श्रोता केवल सुनते नहीं, बल्कि भीतर से कुछ पा जाते हैं। शास्त्री जी का मानना है कि मानव जीवन का परम उद्देश्य ईश्वर से मिलन है, और यह लक्ष्य भक्ति, सेवा और साधना के मार्ग से ही संभव है। इसी आध्यात्मिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे ज्योतिष शास्त्र को भी एक दिव्य साधना के रूप में अपनाते हैं। वे केवल भविष्यवक्ता नहीं, बल्कि एक ऐसे मार्गदर्शक हैं जो ज्योतिष के माध्यम से व्यक्ति को आत्मबोध, कर्म सुधार और सकारात्मक जीवन की ओर प्रेरित करते हैं। उन्होंने सैकड़ों लोगों को जन्मपत्रिका विश्लेषण, ग्रह दोष निवारण, और सार्थक निर्णय के माध्यम से सही दिशा दी है। उनकी ज्योतिषीय दृष्टि में केवल गणना नहीं, बल्कि गहराई, करुणा और धर्म का मेल होता है। उनका विश्वास है कि ज्योतिष भय का नहीं, समाधान और चेतना का विज्ञान है। पंडित विजय कृष्ण शास्त्री जी अपने सरल जीवन, उच्च विचार, और समर्पित साधना के लिए श्रद्धा और सम्मान के पात्र हैं। वे आज के युग में धर्म, भक्ति और ज्योतिष का दुर्लभ संगम हैं — एक ऐसे कथा व्यास जो कथा और ज्ञान से जीवन को सार्थक बनाते हैं।
मानव मात्र के कल्याण के लिए श्रीमद् भागवत कथा,राम कथा आदि धार्मिक आयोजनों के माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना एवं दीन - दुखियों की सेवा के लिए समाज में जागरुकता बढ़ाने का उद्देश्य है।